Thursday 5 November 2020

આવાને નગરસેવક બનાવાય? (ભાગ ૧)


તારીખ ૦૫/૧૨/૨૦૧૭ ના રોજ મ્યુનીસીપલીટીના કોઉન્સીલ હોલમાં દમનના લોકોની બેઠક થઈ હતી બધા નગરસેવકોની સાથે, જેના સંદર્ભમાં ડીએમસી પ્રમુખને  એક પત્ર આપવામાં આવ્યો હતો.

બેઠક દમણના શહેરી વિસ્તારમાં પ્રશાસન દ્વારા માપણી કરીને પાડવામાં આવેલા રંગીન પટ્ટા, જે બાંધકામ તોડવાની નિશાની તરીકે હતા એ બાબતમાં હતી.

 નગરસેવકોને પૂછતાં એમણે જણાવ્યું કે આ પટ્ટા શેના છે એમને ખબર નથી, એમને કોઈ માહિતી નથી અને એમના પ્રમાણે એ લોકો પણ અમારી જેમ અંધારામાં છે.

પછી સર્વાનુમતે એવું ઠરાવવામાં આવ્યું કે મુખ્ય અધિકારી આ પટ્ટાની બાબતમાં લગતા-વળગતા વિભાગમાં તપાસ કરીને નગરસેવકોને માહિતી આપશે.

એ બેઠકમાં એવી પણ ચર્ચા હતી કે 14/12/2017ના રોજે કાઉન્સીલ ની બેઠક થવા જઈ રહી છે તો એમાં આ મુદ્દો ઊઠાવવો,

એક પત્ર પ્રમુખને લખીને એમને યાદ કરાવવામાં આવ્યું કે આ બેઠકમાં જે ચર્ચા થઇ છે તે તમારે 14/12/2017ની કાઉન્સીલની બેઠકમાં લેવી અને એની ઉપર એક ઠરાવ પસાર કરવો કે દમણના લોકોનો વિરોધ છે આવી રીતે તોડફોડ કરવા બાબતમાં.

હવે 27/11/2019ના રોજ માહિતી અધિકાર અધિનિયમ હેઠળ નગરપાલિકાને એક અરજી કરવામાં આવી હતી, જેમાં 06/12/2017ના રોજે લખેલ પત્ર અને એમાં ઉલ્લેખિત બેઠક અને એના પછી થયેલ કાઉન્સીલની બેઠક કે જેમાં આ મુદ્દો ચર્ચાયો હોઈ અને ઠરાવ પસાર થયો હોઈ એની માહિતી માંગવામાં આવી હતી.

Sunday 6 September 2020

जन नायक कहॉ हे?

दीवकी नगरसेविकाने विज विभागके खानगीकरण का विरोध किया हे। उन्होंने एक पत्रकार परिषदमे विरोध जताया हे। बात ख़त्म हो गयी। आगे कया हुआ ओर कया कीया पता नही। एक पत्रकार परिषद और बस बात ख़त्म। 

नेता लोग को सिर्फ़ चुनाव जीतने तक लोगोकी चिंता होती है, एक बार कोइ छोटासा चुनाव कया जीत लिया वह लोग सरकार के बन कर रह जाते हे। 

एक ज़माना था की जब यही विज विभागके खानगीकरण को ले के यही नेता लोग रास्ते पर आते थे और जनताके दर्द की आवाज़ बनते थे ओर जनता उनके एक इशारे पे उनके साथ हो लेती थी और सब साथ मिलकर जीतते थे। ऐसा कइ बार हुआ है और विज विभागके खानगीकरणको रुकवाया गया था।

लेकिन अब कया हो रहा है? कयु कोई मज़बूती से आवाज़ उठाने को तैयार नही हे? सब को कीस चीज़ का डर सता रहा हे? या अब सब नेता की जनता के लिये लड़ने की जरूरत नही रही हे, सब नेताओने इतना धन कमा लिया हे की अब चुनाव हार भी जाये तो कोई फ़र्क़ पड़ने वाला नही हे?

एक सोची समजी चाल के तहत दमण-दीव के विज विभाग, जो सालों से नफ़ा कर रहा था उस विभाग को खोट करने के लिये मजबूर कीया जा रहा हे क्योंकि विज विभाग को बेचnना जो हे!

Sunday 30 August 2020

લાલુભાઈ, વિજ ખાનગીકરણ બાબતમાં કાગળ લખવા સાથે ઘણું કામ કરી શકાય

આપણા સાંસદ શ્રી લાલુભાઈએ એક મહાન કાર્ય કર્યું છે અને તે પણ વિજ વિભાગના ખાનગીકરણની વિરોધમાં એમણે એક પત્ર લખ્યો છે.

શું એક પત્ર લખવાથી એમની નેતા તરીકેની જવાબદારીમાંથી મુક્ત થઈ ગયા?

એક સાંસદ અને નેતા તરીકે આવા કપરા સમયમાં લોકોને માર્ગદર્શન આપે અને લોકોને એવી રીતે દોરે કે જેથી વિજ વિભાગનું ખાનગીકરણ રોકી શકાય.

મને એ સમય યાદ આવે છે જ્યારે સાંસદ પત્ની અને જીલા પંચાયતના સભ્ય તરુણાબેન વિજ વિભાગના ખાનગીકરણના વિરોધમાં લોકોની સાથે ખભે ખભા મિલાવી રસ્તા પર ઊતર્યા હતા અને વિજય થયા હતા.

શું હવે આવી આશા આપણા સાંસદ અને એમની પત્ની પાસેથી રાખવી નકામી છે?




Sunday 23 August 2020

दमण नगरपालिका के प्रमुख का चुनावी लोलीपोप?


कुछ माह पहेले यह समाचार अख़बार में आये थे जिस से ख़ुश होकर एक पोस्ट मैंने भी लिख डाली थी ओर दमणवासीओ को बधाई दी थी और साथ में चेतावनी भी दी थी की शायद यह छलावा हो सकता हे।

अब वह चेतावनी सच होती लग रही हे। पिछले कई दिनो से मेरे बहुत सारे मित्रों के फ़ोन आये थे और बताया था की अख़बार के समाचार के मुताबिक़ कुछ हो नही रहा हे। नगरपालिका पुराने दर से मिलकत कर ले नही रही थी और नये दर से भी नही ले रही थी। सच्चाई जानने के लिये एक दिन में ख़ुद मिलकत कर देने पहुँचा। मैने देखा की सुनी हुई बात सच थी, नगरपालिकाने मिलकत कर लेना बंध कीया था।

तलाश कर ने पे पता चला की डेटा भरना बाक़ी है इस लिये कर नही लिया जा रहा हे।

प्रमुख श्री, कया हम आपसे और दुसरे नगर सेवकों से यह आशा रख सकते है की चुनाव हो ना हो लेकिन मिलकत कर पुराने दर से लिया जायेगा? आपने जनता को किया हुआ वादे का पालन नगरपालिका करेगी? या फिर हमें लोलीपोप पकड़ाई गयी थी? आपकी और से एक निवेदन अपेक्षित हे। 

Monday 17 August 2020

चुनाव कयुं करवाने हे?


यह जो ख़बर छपी हुई हे वह सोचने लायक ज़रूर हे। 

हमें चुनाव से कया मीलेगा? हाल में जो भी चुने हुए जन प्रतिनीधि है उन्होंने जनता के लीये कया कीया? या यह कहे की वह लोग जनता के लीये कया कर सकते थे? क्योंकि वह जन प्रतिनीधि तो थे पर उनके पास सत्ता नही थी। वह सब रबर स्टैम्प थे। उपर से जो आदेश आता है उसका उनको पालन करना पड़ता हे, चाहे वह आदेश पक्षका हो या प्रशासन का। 

प्रशासन में जन प्रतिनीधि का कोई सुनता नही, उनकी कुछ चलती नही। चाहे बात कर बढ़ोतरी की हो या नये प्रोजेक्ट की हो प्रशासन अपने मन की ही करता हे। यह लोग वापस चुनाव जीत भी जायेंगे तो कया तोप फोड़ने वाले है? वह लोग वापस वही ग़ुलामी करेंगे और लोगो को मूर्ख बनायेंगे।


Friday 7 August 2020

चुनाव करवाना जरुरी हे?


दादरा, नगर, हवेली और दमण, दीव में पंचायत और नगर पालिका के चुनाव नजदीक आ रहे हैं।

हालांकि सोचने वाली बात यह है की चुनाव से क्या मीलता है?

चुनाव से लोगों को नये पंचायत सभ्य और नगर सेवक मीलते हे। यह चुनें हुए जन प्रतिनिधि होते हैं जीनकी जीम्मेवारी होती है की जीनका वह प्रतिनिधित्व कर रहे हैं उनकी तकलीफों को सरकार तक पहुंचाना और उसका सबके हित में हल लाना।

कया जन प्रतिनीधि यह कर पा रहे हे? लोगों के हिसाब से नही और सरकार के हिसाब से भी ना ही होगा। यह जन प्रतिनीधिओ के लिये लोगों में एसी भावना हे की यह लोग सरकारी चमचे हे और सरकार यह मानती हे की यह चुने हुए जन प्रतिनीधि सरकार के लिये बोज है यह ना हो तो बिना रोकटोक के अपना काम कर सकते हे। 

यह चुने हुए जन प्रतिनीधि ना तो जनता का काम करवा सकते है, ना तो ख़ुद का काम करवा सकते हे। सरकार उनका सुनती भी नही है कयुकी सरकार जन विरोधी कार्य करती है जीसका इनको विरोध करना पड़ता हे। उनके ज़्यादातर अधिकार पर सरकार ने रोक लगा रखी है और यह अधिकारों का उपयोग अधिकारी करते हे। जन प्रतिनीधिओ की सभा में अधिकारीओ द्वारा पुलिस बुलाइ जाती हे। 

एेसे माहौल में चुनाव करवाने की उपयुक्तता कया हे? सरकार चुनाव इस लिये करवाना चाहती है कयुकी सरकार को नये ग़ुलाम चाहीये जो उनकी हर जन विरोधी नीति को जन उपयोगी नीति बता कर लोगों को मूर्ख बना सके। कया यह चुनाव में लोगों को उमेदवारी करनी चाहीये?